भारत के इस राज्य में हो रही 'काली हल्दी' की खेती, बीमारियों का है रामबाण इलाज

बिहार के गया जिले में एक ऐसे ही किसान हैं जो खेती में अलग-अलग प्रयोग कर सफल खेती कर रहें है और बेहतर उत्पादन हो रहा है. 

बात कर रहें हैं टेकारी प्रखंड क्षेत्र के गुलरियाचक गांव के रहने वाले आशीष कुमार सिंह की. 

आशीष जिले के एक प्रगतिशील किसान है जो ब्लैक पोटैटो, रेड राइस, ब्लैक राइस, ब्लैक गेहूं समेत ब्लैक हल्दी की सफल खेती कर चूके हैं. 

आशीष पिछले तीन साल से काली हल्दी की खेती कर रहे हैं और विलुप्त हो रही काली हल्दी की खेती के फायदे और महत्व को किसानों को बता रहे हैं.

इसके तने की उंचाई पांच फुट से अधिक है और केले के पते के सामान इसकी पत्ते हैं. 

इसका कंद गोला और वजन 100 ग्राम तक होता है. गमले में भी काली हल्दी का पौधा लगाया जा सकता है.

इसकी खेती पीली हल्दी की खेती के जैसा ही किया जाता है. मार्केट में 300 रुपये किलो इसकी बिक्री होती है. 

वैज्ञानिक ने बताया कि काली हल्दी औषधीय गुण से भरपूर है. इसका उपयोगदवा बनाने के रूप में बड़े स्तर पर किया जाता है.

काली हल्दी देखने में अंदर से हल्के काले रंग की होती है. इसका पौधा केला के समान होता है. 

काली हल्दी मजबूत एंटीबायोटिक गुणों के साथ चिकित्सा में जडी़ बूटी के रूप में उपयोग की जाती हैं.