समुद्र किनारे मालदीव में पानी की किल्लत, सैलानियों से पानी को लेकर लूट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप यात्रा के दौरान कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए लोगों से वहां जाने की अपील की.
इसके तुरंत बाद टूरिस्ट देश मालदीव के कुछ मंत्रियों ने रेसिस्ट टिप्पणियां कर दीं. तब से ही ट्वि्टर पर युद्ध छिड़ा हुआ है.
हालात इतने बिगड़े कि मालदीव सरकार को उन मंत्रियों को सस्पेंड करना पड़ा. असल में मालदीव में सबसे ज्यादा सैलानी भारत से ही जाते हैं.
इस बीच इजरायल भी जंग में कूदते हुए एक बड़ा एलान कर चुका. भारत में इजरायली दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है.
इसमें कहा गया कि लक्षद्वीप को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित करने के प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए वो तैयार है. इसके लिए वो सालभर पहले भी लक्षद्वीप विजिट कर चुका है.
मालदीव पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है इसलिए नब्बे के दशक में ही वहां डीसेलिनेशन प्लांट बनने लगे. हालांकि अब भी इस तकनीक की मदद से टूरिस्टों की ही जरूरत पूरी होती है.
बहुत सा काम बारिश के पानी को जमाकर किया जाता है. इस द्वीप देश में पीने का पानी काफी महंगा भी है.
अक्सर रिजॉर्ट की बुकिंग कराते हुए पानी की कीमत भी वसूल ली जाती है, वहीं बहुत से होटल सीमित पानी ही देते हैं. एक्स्ट्रा पानी के लिए ज्यादा कीमत देनी होती है.
लक्षद्वीप में साफ पानी के लिए लोग अभी भी ग्राउंड वॉटर पर निर्भर हैं जो सीमित ही होता है. अगर इसे टूरिस्ट आइलैंड की तरह बनाना है तो साफ पानी बड़ी जरूरत है.