सवा लाख से एक लड़ाऊं...कहने वाले गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर उनके ये विचार अनमोल

आज 17 जनवरी पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सिखों के 10वें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी जयंती मनाई जाती है

आज के दिन गुरु गोबिंद सिंह जी की 357वीं जन्म वर्षगांठ मनाई जा रही है। आज के दिन हर तरफ उत्साह का माहौल है

आज इस खास दिन पर जानते हैं गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन के बारे में कुछ बातें...

शौर्य और साहस के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी सिख धर्म के दसवें गुरु थे. गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी

उन्होंने ही खालसा वाणी, 'वाहे गुरु की खालसा, वाहेगुरु की फतेह' दिया था. उनका उद्देश्य धर्म की रक्षा करना था  

कहा जाता है कि सिखों के लिए पांच चीजें- बाल, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण धारण करने का आदेश गुरु गोविंद सिंह जी ने ही दिया था  

कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी को पंजाबी, फारसी, अरबी, संस्कृत और उर्दू समेत कई भाषाओं की जानकारी थी

सिख धर्म में कुल 10 गुरु हुए. गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें और आखिरी गुरु थे

कहा जाता है कि अपने पिता गुरु तेग बहादुर की शाहदत के बाद मात्र 9 साल की उम्र में ही गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु की जिम्मेदारी ली