पूजा-पाठ में स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करना सही या गलत?

सुख-शांति के लिए घर में वास्तु नियम का खास ख्याल रखा जाता है. यहां तक कि पूजा-पाठ में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं का भी विशेष ध्यान रखा जाता है. 

वास्तु में पूजा-पाठ से जुड़ी हर एक चीज के बारे में विस्तार से बताया गया है. विधि-विधान से पूजा करने के बावजूद भी छोटी-छोटी गलतियां परेशानियों की वजह बन सकती हैं.

पूजा-पाठ के दौरान भक्तों के मन में यह सवाल उठता है कि इस दौरान स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं?

ऐसे में वास्तु शास्त्र के मुताबिक जानते हैं कि पूजा-पाठ में स्टील का बर्तन इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं.

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा-पाठ के दौरान स्टील, लोहा और एल्यूमिनियम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 

ऐसा इसलिए क्योंकि पूजा-पाठ के दौरान शुद्धता और पवित्रता का विशेष ख्याल रखना होता है. 

स्टील, एल्युमिनियम जैसे बर्तनों को शुद्ध धातु नहीं माना गया है. यही वजह है कि इन धातुओं के बर्तनों को पूजा-पाठ में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

मानव निर्मित धातुओं में जंग लगने की वजह से पूजा-पाठ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है. 

गजलक्ष्मी राजयोग के शुभ प्रभाव से रुके हुए तमाम धन की प्राप्ति होगी. गुरु ग्रह की कृपा के परिणामस्वरूप समाज में प्रतिष्ठा मिलेगी. 

पूजा पाठ में प्राकृतिक धातुओं का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है. धार्मिक कार्यों के लिए सोना, चांदी, पीतल और तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए.