Women's Day पर भी बंद नहीं हुई ये कुप्रथा, मासूम बच्चियों का बेरहमी से करते हैं खतना

दुनियाभर में हर साल महिला दिवस मनाया जाता है, इस दिन महिला-संरक्षण और सशक्तिकरण की बातें होती हैं...लेकिन हकीकत काफी डरावनी भी होती है

आज भी कुछ देशों में लड़कियों के पैदा होने के उपरांत उन पर जुल्‍म की इंतेहा हो जाती है...परंपरा के नाम पर उन्‍हें चोट पहुंचाई जाती है

UN की संस्‍था यूनिसेफ के मुताबिक, अफ्रीकी और एशियाई देशों में मुस्लिम समुदाय के लोग लड़कों का ही नहीं, बल्कि लड़कियों का भी खतना कराते हैं

यूनिसेफ से कुछ आंकड़े सामने आए हैं, जो बताते है कि दुनिया के कई हिस्‍सों में महिलाएं आज भी पुरानी प्रथाओं का दर्द झेल रही हैं. 

8 मार्च 2024 यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ, कि खतने की शिकार बनाई गई महिलाओं की तादाद 20 करोड़ से भी ज्‍यादा है

महिलाओं के खतने की प्रक्रिया को महिला जननांग विकृति (female genital mutilation) कहा जाता है, यह कुप्रथा 1400-1500 साल से चली आ रही है

समय के बदलाव को देखते हुए कुछ देशों में इस प्रथा के खिलाफ कदम उठाए गए हैं, मगर फिर भी आंकड़ों में 2016 के बाद से 15% की बढ़ोतरी देखी गई है

क्या होता है एफजीएम? महिलाओं के बचपन में गुप्‍तांग के कुछ हिस्‍से को काटकर अलग कर दिया जाता है, जिसे एफजीएम (female genital mutilation) कहते हैं 

FGM की प्रथा अफ्रीकी और दक्षिण एशियाई देशों में है, जिसमें बच्चियों के भगशेफ (clitoris), लेबिया मिनोरा (labia minora) को आंशिक या पूरी तरह से हटा दिया जाता है

इसे बंद करने के लिए योनि (vagina) में टांके लगाए जाते हैं. एफजीएम से बहुत ज्यादा खून बहने का डर रहता हैं,या ये किसी दूसरी बिमारी की बड़ी वजह बन सकता है. 

एफजीएम क्यों कराया जाता है एफजीएम की प्रथा कई सालों से चली आ रही हैं. कुछ समाजों में इस प्रथा को लड़कियों की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी माना जाता है.