सेला टनल बनने से चीन को लगा तगड़ा झटका, ये है सुरंग की खासियत

पीएम मोदी ने शनिवार (9 मार्च) को सेला टनल को देश को समर्पित कर दिया. सेला टनल दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन टनल है. 

सेला टनल 13 हजार 700 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है. ये सुरंग रणनीतिक लिहाज के मायने से भी काफी अहम है. 

सेला टनल असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग से जोड़ने वाली सड़क पर बनाई गई है.

इस टनल को बीआरओ ने बनाया है. सेला सुरंग का शिलान्यास पीएम मोदी ने 2019 में किया था. 

ये सुरंग अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारिदुआर-तवांग रोड पर सेला दर्रे के पार तवांग तक सभी मौसम में कनेक्टिविटी देगी. 

इस सुरंग को बनाने में 825 करोड़ रुपये का खर्च आया है. इस पूरे प्रोजेक्ट के तहत दो सुरंगें बनाई गईं हैं. 

इन सुरंगों को आपस में जोड़ने के लिए सड़क बनी है. कुल मिलाकर सुरंग और सड़कों को मिलाकर ये 12 किलोमीटर लंबी है.

इस सुरंग के बनने से चीन सीमा तक की दूरी लगभग 10 किमी तक कम हो जाएगी. ये एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) के नजदीक बनी है, जिससे चीन सीमा तक जल्दी पहुंचा जा सकेगा.

इन सुरंगों को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि यहां से बोफोर्स तोपों जैसे बड़े तोपखाने, टी-90 और वज्र हॉवित्जर जैसे टैंक आसानी से किसी भी मौसम में तवांग तक पहुंच सकते हैं. 

इतना ही नहीं, अभी तक एलएसी के पास तवांग में चीन भारतीय सेना की गाड़ियों के मूवमेंट पर नजर रखता था, सुरंग बनने से अब उसकी निगरानी भी बंद हो जाएगी.