गाजा के तट पर अमेरिका के बंदरगाह बनाने का क्या है मकसद?
अमेरिका से एक सैन्य जहाज गाजा के लिए रवाना हो गया है. यूएस सेंट्रल कमांड ने जानकारी दी कि जहाज में गाजा के तट पर अस्थायी बंदरगाह बनाने का समान है.
कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की थी कि वो समुद्र के रास्ते से गाजा को मानवीय सहायता पहुंचाएंगे.
व्हाइट हाउस ने स्टेटमेंट जारी की थी कि यूरोपियन कमीशन, जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, साइप्रस गणराज्य और अमेरिका मिलकर एक समुद्री गलियारा खोलेंगे.
हालांकि, अमेरिका ने खुद माना कि समुद्र के जरिए मदद पहुंचाना काफी पेचिदा प्रोसेस होगा. ऐसे में मानवीय सहायता भेजने के लिए समुद्री मार्ग क्यों चुना गया.
अमेरिका और सहयोगी देश बीते कुछ दिनों से गाजा के इलाकों में सप्लाई को एयरड्रॉप कर रहे हैं.
रविवार को ही 11,500 से ज्यादा खाने के पैकेट पैराशूट के जरिए उत्तरी गाजा में एयरड्रॉप किए गए थे. लेकिन ये एयरड्रॉप सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक साबित हुए हैं.
पिछले हफ्ते एयरक्राफ्ट से गाजा पट्टी पर राहत सामग्री के बॉक्स गिराए गए, लेकिन कई बॉक्स के पैराशूट ही नहीं खुले. ये बॉक्स रफ्तार से लोगों पर गिर गए.
गाजा में कोई बंदरगाह का बुनियादी ढांचा नहीं है. समुद्री गलियारा बनाने में अमेरिका शुरूआत में साइप्रस की मदद लेगा.
सबसे पहले कार्गो की स्क्रीनिंग साइप्रस में की जाएगी, जिसकी देख-रेख में इजरायल के अधिकारी भी शामिल होंगे.
अमेरिका का अनुमान है कि अस्थायी बंदरगाह बनाने में 60 दिन तक का समय लग सकता है. इस काम में 1,000 सैनिकों की मदद ली जाएगी, जिनमें से कोई भी तट पर नहीं जाएगा.