दुनिया को फंसाने के चक्कर में खुद फंसे जिनपिंग, जानें- कैसे हुई चीन की ऐसी हालत

चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर होती जा रही है. 

दिलचस्प बात ये है कि अब तक गरीब और छोटे मुल्कों को अपने कर्ज के जाल में फंसाने वाला चीन खुद कर्ज के तले दबता जा रहा है. 

साल 2023 के आखिरी तक चीन पर उसकी जीडीपी का 288% का कर्ज था. ये अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. 2022 के मुकाबले ये 13.5 फीसदी ज्यादा था.

चीन में विकास दर धीमी होती जा रही है. रोजगार हैं नहीं. रियल एस्टेट सेक्टर बुरी तरह तबाह होता दिख रहा है.

पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन की अर्थव्यवस्था के भविष्य को 'खतरनाक' बताया था. 

चीन के परिवारों पर कर्ज बढ़कर जीडीपी का 63.5 फीसदी पहुंच गया है. वहीं, गैर-वित्तीय कॉर्पोरेट पर कर्ज बढ़कर 168.4 फीसदी और सरकार पर कर्ज 55.9 फीसदी हो गया है. 

चीन के साथ भी ठीक वैसा ही हो रहा है जैसा जापान के साथ हुआ था. यानी एक वक्त में अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ा और फिर लुढ़कने लगी. 

1970 के दशक के बाद चीन ने जो आर्थिक सुधार किए उससे उसकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी. जिसकी वजह से चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. 

ऐसा ही कुछ जापान के साथ भी हुआ था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान की अर्थव्यवस्था बहुत बढ़ी. लेकिन फिर धीरे-धीरे उसपर कर्ज बढ़ता चला गया.