PM Modi और पुतिन की दोस्ती रचेगी इतिहास, हो गया ये बड़ा समझौता!

भारतीय वैज्ञानिकों को रूस अपने देश में बन रहे एमबीआईआर मल्टी पर्पज फास्ट न्यूट्रॉन रिसर्च रिएक्टर में रिसर्च की सुविधा देने के लिए भी तैयार है. 

भारत और रूस के बीच आने वाले समय में परमाणु तकनीक के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ने की संभावना है और इसमें गैर ऊर्जा और गैर-परमाणु क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा. 

भारत और रूस के बीच नॉर्दन सी रूट को साथ मिलकर विकसित करने को लेकर भी बातचीत हो रही है.  अभी रूसी कंपनी रोसातोम ही इस रूट को विकसित करने का काम कर रही है. 

इस रूट की मदद से रूस का तेल, कोयला और एलएनजी भारत जल्दी पहुंच सकेगी. साथ ही इस रूट से एशिया की यूरोप से दूरी भी कई हजार किलोमीटर कम हो जाएगी.

अब पश्चिम से पूर्व के बीच अंतरराष्ट्रीय व्यापार वेस्ट-ईस्ट ट्रांजिट रूट से होता है.  इसकी दूरी 21 हजार किलोमीटर है और इस रूट से एशिया से यूरोप तक सामान भेजने में करीब एक महीने का समय लगता है.

नॉर्दन सी रूट के विकसित होने के बाद यह दूरी घटकर 13 हजार किलोमीटर रह जाएगी और सामान भेजने में भी एक महीने के बजाय सिर्फ दो हफ्ते का समय लगेगा. 

भारत और रूस में परमाणु क्षेत्र में सहयोग की भी काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने बताया कि कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा केंद्र के निर्माण के दौरान दोनों देशों को साथ मिलकर काम करने का काफी अनुभव मिला.

बीते महीने पीएम मोदी ने तमिलनाडु के कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट का दौरा किया था. यह न्यूक्यिलर पावर प्लांट रूस के सहयोग से ही बनाया जा रहा है. 

भारतीय कंपनियां, रोसातोम द्वारा बांग्लादेश के रूपपुर में बनाए जा रहे परमाणु ऊर्जा प्लांट के निर्माण से भी जुड़ी हैं.

यह दुनिया का सबसे ताकतवर रिसर्च रिएक्टर होगा और इसमें मेडिकल, अप्लाइड फिजिक्स और नए तत्वों को बनाने जैसे मुद्दों पर रिसर्च होगी.