चाणक्य नीति: नरक के समान है इन जगहों पर रहना

आचार्य चाणक्य की नीति कलयुग में भी बेहद प्रासंगिक है. 

उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए हैं. 

चाणक्य नीति में आचार्य कहते हैं कि इंसान को किन जगहों पर नहीं रहना चाहिए. 

चाणक्य के मुताबिक, कुछ जगहों पर रहना नुकसान दायक साबित हो सकता है.

चाणक्य नीति का श्लोक लोक यात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता। पंच तत्र न विद्यंते न कुर्यात् तत्र संस्थितिम्

जिस देश, शहर या क्षेत्र में जीवन यापन का कोई स्रोत ना हो वहां नहीं रहना चाहिए.

जहां पुरुष या महिला में मान-मर्यादा ना हो, उस स्थान या शहर में भी नहीं रहना चाहिए.

जिस स्थान पर लोगों में उदारता और परोपकार की भावना ना हो, वहां कुछ समय के लिए भी नहीं रहना चाहिए.

जिस जगह पर लोगों में त्याग की भावना ना हो वहां रहना रहने से किसी भी प्रकार का लाभ नहीं है. 

जिस देश या राज्य में लोगों को राजा, सरकार या कानून का डर हो वहां रहना नरक के समान है.