दुनिया के विनाश की भविष्यवाणी! क्यों है भगवान शिव से इसका कनक्शन

शिव संहार के देवता कहे जाते हैं. इस बात से वैज्ञानिक भी सहमत है. धरती कब और कैसे खत्म होगी? उस पर जीवन कब खत्म होगा? इसके पीछे की वजह क्या होगी? इसपर शोध हो रहे हैं. 

ऐसी ही एक स्टडी का नाम है शिवा हाइपोथिसिः इम्पैक्ट्स, मास एक्टिक्शन एंड द गैलेक्सी.

यह वैज्ञानिकों का ऐसा सिद्धांत है जिसमें वो धरती, उस पर मौजूद जीवन के खत्म होने और इसका आकाशगंगा से संबंध बताया गया है.

इस हाइपोथिसिस में यह बताया गया है कि धरती पर समय-समय पर जीवन का सामूहिक संहार होगा. इसकी वजह धूमकेतु या एस्टेरॉयड्स या उल्कापिंड हो सकते हैं. 

20 के आसपास छोटे सामूहिक विनाश हुए हैं. ये सभी घटनाएं पिछले 54 करोड़ वर्षों में हुई है. ये हाइपोथिसिस एमआर रैंपिनो और ब्रूस एम. हैगर्टी ने दी थी. वैज्ञानिक धरती पर होने वाले छठे सामूहिक विनाश की स्टडी और रिसर्च में लगे हैं.

शिवा हाइपोथिसिस में ग्रहों के खत्म होने और बनने की बात भी कही गई है. धरती पर ऊर्ट क्लाउड से धूमकेतुओं की बारिश की बात कही गई है.

वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि भगवान शिव संहारक, विनाशक और निर्माणकर्ता हैं. 1987 में कैंपबेल की एक स्टडी में कहा गया था कि दुनिया में सबसे ज्यादा और सबसे प्राचीन देवता शिव हैं. उनकी पूजा बहुत जगहों पर होती है. 

चर्चा सिर्फ इस चीज की नहीं है कि कैसे होगा, ये भी बताया गया है कि इसका असर क्या होगा. पूरी दुनिया में काले बादल छा जाएंगे. सूरज की रोशनी नहीं मिलेगी.

तापमान में हफ्ते भर में माइनस 15 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आएगी. चारों तरफ बर्फ जम जाएगा. जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां नष्ट हो जाएंगी.