जासूसी करते पकड़े गए थे पुतिन, घेर लिया था भीड़ ने, ऐसे बची जान
व्लादिमीर पुतिन ने रूस के राष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है.
पुतिन की जिंदगी बहुत उतार-चढ़ाव भरी और दिलचस्प रही है.
साल 1985 में पुतिन की तैनाती कम्युनिस्ट कंट्रोल वाले ईस्ट जर्मनी के ड्रेसडेन में हुई.
33 साल के पुतिन को ड्रेसडेन में एक खास विला दिया गया, जहां से उन्होंने ऑपरेट करना था.
ड्रेसडेन में तैनाती के दौरान पुतिन के साथ एक ऐसा वाकया हुआ, जिसे वो आज तक नहीं भूल पाए हैं.
9 नवंबर 1989 को बर्लिन की दीवार गिरने के बाद एंटी-कम्युनिस्ट और एंटी-केजीबी मूवमेंट शुरू हो गया.
प्रदर्शनों का दौर शुरू हुआ और कुछ दिन में ही प्रदर्शनकारी ड्रेसडेन स्थित केजीबी विला तक पहुंच गए. पुतिन के तमाम साथी भाग खड़े हुए.
कुछ ने आत्महत्याएं कर लीं और कुछ को मार दिया गया. हालांकि ड्रेसडेन में पुतिन चंद साथियों के साथ अंत तक डटे रहे.
लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब पुतिन को लगने लगा कि अब उनका जिंदा बचना मुश्किल है.
इसके बाद उन्होंने अपने सबसे पास स्थित सोवियत मिलिट्री कमांड से मदद मांगी तो वहां से कोई भी मदद देने से इंकार कर दिया गया.
कहा गया कि जब तक मॉस्को से ऑर्डर नहीं मिलेंगे, तब तक मिलिट्री-कमांड कोई मदद नहीं करेगी. मॉस्को से कोई जवाब नहीं मिला.
पुतिन जिंदा तो बच गए लेकिन मॉस्को से मन खट्टा हो गया. पुतिन ने केजीबी में 15 वर्षों तक सेवा दी. 1990 में लेफ्टिनेंट कर्नल पद से रिटायर हुए.