महा अष्टमी को भूलकर भी ना करें ये 8 गलतियां, नहीं मिलेगा व्रत का फल
चैत्र नवरात्रि की महा अष्टमी के दिन भूल से भी देर तक ना सोएं. अगर आपने अष्टमी का व्रत नहीं भी रखा है तो भी सुबह उठकर स्नान और पूजा करें.
विष्णु पुराण के मुताबिक, महा अष्टमी की पूजा के दिन दिन में नहीं सोना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पूजा का फाल नहीं मिलता है.
बिना हवन किए मां अष्टमी की पूजा निष्फल हो जाती है. इस दिन हवन करते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि हवन की सामग्री हवन कुंड से बाहन ना गिरे.
महा अष्टमी के दिन पूजन के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ, चालीसा का पाठ और मंत्रों का जाप करें. ध्यान रहे कि ऐसा करते वक्त किसी से बात ना करें. ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलता है. माता की चौकी का समापन विधि-विधान से करें.
अगर अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं तो कन्या पूजन से पहले भोजन ना करें. अष्टमी के दिन कन्या पूजन करन के बाद कन्याओं को भोजन कराकर विदा करें और उसके बाद ही व्रत का पारण करें. इस प्रकार कन्या पूजन करने से मां महागौरी की कृपा प्राप्त होती है.
अष्टमी या नवमी के दिन पूरे विधि-विधान से माता की पूजा और हवन करें. कन्या पूजन के बाद ही उन्हें भोजन कराएं और व्रत पारण करें. नवरात्रि के नवमी तिथि को लौकी खाने की मनाही है.
मान्यतानुसार, नवरात्रि के दिनों में तुलसी के नीचे अधेरा नहीं रहना चाहिए. यानी तुलसी के नीचे दीया जरूर जलाना चाहिए. चैत्र नवरात्रि की अष्टमी को तुलसी के नीचे 8 दीया जलाकर उनकी परिक्रमा करनी चाहिए. ऐसा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
चैत्र नवरात्रि की महा अष्टमी को काले या नीले रंग के कपड़े ना पहने. अष्टमी के दिन पीले रंग का वस्त्र पहनना शुभ माना गया है.
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अप्रैल को रात 12 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है. जबकि अष्टमी तिथि की समाप्ति 16 अप्रैल को रात 1 बजकर 23 मिनट पर हो रही है.