शादी के बाद महिलाएं क्यों पहनती हैं मंगलसूत्र? जानें
हिंदू धर्म में मान्यता है कि शादी के बाद पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. इसमें मंगलसूत्र का सबसे ज्यादा महत्व रखता है.
मंगलसूत्र महिलाएं के सुहाग को बुरी नजर से बचाता है. मंगलसूत्र का खोना, टूटना अपशगुन माना जाता है.
शास्त्रों के अनुसार, शादी के बाद भगवान शिव और पार्वती सुहाग की रक्षा करते हैं. मंगलसूत्र कई जगहों पर पीले धागे से बनता है.
मंगलसूत्र में पीले रंग का होना भी जरूरी है. पीले धागे में काले रंग के मोती पिरोए जाते हैं. कहा जाता है कि काला रंग शनि देवता का प्रतीक होता है.
ऐसे में काले मोती महिलाओं और उनके सुहाग को बुरी नजर से बचाते हैं. पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक होता है जो शादी को सफल बनाने में मदद करता है.
मंगलसूत्र का पीला भाग पार्वती माता और काला भाग भगवान शिव का प्रतीक होता है.
हिन्दू परंपराओं के अनुसार, एक मंगलसूत्र में 9 मनके होते हैं, जो ऊर्जा के 9 विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
ये ऊर्जाएं पत्नी और पति को किसी भी बुरी नजर से बचाती हैं. इन मोतियों को सभी तत्वों वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि की शक्ति के लिए भी जाना जाता है.
ये 4 तत्व स्त्री और पुरुष के बीच के रिश्ते को मजबूत बनाए रखने में मदद करते हैं.
शादी में दुल्हन को मंगलसूत्र पहनाने से कुंडली में मंगल दोष का बुरा असर नहीं पड़ता है. मंगलसूत्र अक्सर सोने का ही पहनाया जाता है.
ज्योतिष में सोने का संबंध गुरु ग्रह से होता है. गुरु वैवाहिक जीवन में खुशहाली का कारक माना जाता है.
साथ ही मंगलसूत्र में जड़े काले मोतियों का संबंध शनि देव से माना गया है. शनि स्थायित्व का प्रतीक है.
इसलिए मंगलसूत्र पहनने से शनि और गुरु ग्रह का शुभ प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ता है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है.