दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार प्रदान किए.

इस कार्यक्रम में सामाजिक कार्य, साहित्य, शिक्षा, पत्रकारिता और सार्वजनिक मामलों सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनके असाधारण योगदान के लिए व्यक्तियों को सम्मानित किया गया. 

पद्मश्री पुरस्कार पाने वालों में पोलियो से दोनों हाथ-पैर खोने वाले दिव्यांग समाजसेवी 64 वर्षीय डॉ. केएस राजन्ना भी शामिल थे.

बचपन में अपने दोनों हाथ और पैर खो चुके के.एस राजन्ना को जब पद्मश्री से सम्मानित किया गया तो हॉल तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठा. 

जानें कौन है के.एस राजन्ना कर्नाकट के बेंगलुरु के रहने वाले डॉ. राजन्ना का संपूर्ण जीवन ही संषर्घ भरी जिंदगी की जीती-जागती मिसाल से कम नहीं है. 

डॉ. राजन्ना ने महज 11 महीने की उम्र में ही हाथ-पैर गंवा दिए थे. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और घुटनों के बल चलना सीखा.

उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के साथ ही लेखन, हस्तशिल्प के अलावा डिस्कस थ्रो, ड्राइविंग और स्विमिंग भी सीखी. 1975 में कर्नाटक की सिविल सेवा परीक्षा पास कर अफसर बन गए. 

फिर भी पढ़ाई नहीं छोड़ी और साल 1980 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया.

ये सब करते हुए उन्होंने दूसरे दिव्यांग लोगों को सक्षम बनाने के लिए काम करने का फैसला किया. अपने खुद के प्रयासों से वह अब तक सैकड़ों दिव्यांगों को रोजगार प्रदान कर चुके हैं. 

समाजसेवी के रूप में दिव्यांग लोगों के लिए काम करने का फैसला किया। जीवन में कठिन परिश्रम कर 2013 में राजन्ना कमिश्नर बने. 

डॉ. राजन्ना एक अच्छे खिलाड़ी भी हैं. साल 2002 के पैरालिंपिक में वह डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक और तैराकी में सिल्वर पदक जीत चुके हैं.