रत्न शास्त्र में ग्रहों के रत्न का खास महत्व है. कुंडली में ग्रहों के संतुलन और शुभता की प्राप्ति के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. सूर्य ग्रह की शुभता के लिए माणिक रत्न पहनने की सलाह दी जाती है.
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सरकारी नौकरी, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और धन की प्राप्ति के लिए खास माना गया है. जब कभी भी कुंडली में सूर्य स्थिति बिगड़ती है तो इंसान को नौकरी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को सेहत का भी कारक माना गया है. इसलिए उत्तम स्वास्थ्य के लिए सूर्य को जल देने की सलाह दी जाती है.
सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक रत्न बेहद प्रभावशाली माना गया है. क्योंकि यह नौ रत्नों में खास है. रत्न शास्त्र के जानकार बताते हैं कि यह रत्न सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है.
जब कुंडली में सूर्य ग्रह की ऊर्जा कम होने लगती है, तब माणिक रत्न धारण करने से सूर्य की ऊर्जा बढ़ जाती है और व्यक्ति की किस्मत चमक उठती है. लेकिन, यह तभी संभव हो पाता है जब सही समय पर नियमानुसार रत्न धारण किया जाए.
रत्न से निकलने वाली ऊर्जा ग्रह को मजबूत करती है. लेकिन, किसी विद्वान ज्योतिषी को कुंडली दिखाने के बाद ही रत्न को धारण करना चाहिए. ज्योतिषी की मानें तो सिंह राशि के लोग माणिक रत्न धारण कर सकते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, माणिक रत्न सरकारी नौकरी, शारीरिक बल, शारीरिक ऊर्जा, सामाजिक सम्मान दिलाता है. रत्न को सीधे हाथ की रिंग फिंगर में रविवार के दिन सुबह के समय पहनना लाभकारी होता है.
कुंडली में सूर्य 6, 8 और 12वें स्थान पर बैठा होने पर माणिक रत्न नहीं पहनना चाहिए. सिंह लग्न है या सिंह राशि है तो माणिक रत्न पहन सकते हैं. लेकिन, किसी विद्वान ज्योतिषी को कुंडली जरूरी दिखाना चाहिए.