सूर्य देव को जल देते वक्त न करें ऐसी गलती, जानें खास नियम
सनातन धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देव माना गया है. यही वजह है सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद लाभकारी माना जाता है.
शास्त्रों में सूर्य को जल देने के लिए खास नियम का जिक्र किया गया है. नियम के मुताबिक सूर्य देव को अर्घ्य देने से लाभ मिलता है.
सूर्य को जल देने के लिए सूर्योदय के पहले उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर पीतल के लोटे से सूर्य को जल देना चाहिए.
सूर्य देव को अर्घ्य देते वक्त जल में लाल फूल और अक्षत मिलाना चाहिए. अर्घ्य देते वक्त ओम् सूर्याय नमः को 7 या 11 बार बोलना चाहिए.
सूर्य देव को अर्ध्य देने के लिए ऐसे जगह का चुनाव करना चाहिए जहां से सूर्य उगते हुए दिखाई दें. इसके लिए खुला मैदान, नदी का किनारा या घर का छत उपयुक्त स्थान हो सकता है.
सूर्य को जल देते वक्त आपका मुंह उगते हुए सूर्य देव की ओर यानी पूरब की तरफ होना चाहिए.
सूर्य देव को अर्घ्य देते वक्त गायत्री मंत्र को भी बोला जा सकता है. इसके अलावा सूर्य के खास मंत्रों का भी जाप किया जा सकता है.
सूर्य देव को जल देने के लिए दोनों हाथों का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है. ध्यान रहे कि ऐसा करते वक्त काले रंग का कपड़ा भूलकर भी नहीं पहनना चाहिए.
कभी भी बिना नहाए सूर्य को अर्घ्य नहीं देना चाहिए. अगर जल चढ़ाने के बाद इसके छीटें-पैरों पर पड़ते हैं तो इसमें कोई दोष नहीं होता है.
सूर्य को अर्घ्य देने वालों को अपने पिता, बड़े भाई या परिवार के अन्य बड़े लोगों का खास सम्मान करना चाहिए.