भारत में भी अच्छा-खासा गोल्ड रिजर्व है, जिसका नियंत्रण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पास होता है. 

इंग्लैंड की राजधानी लंदन के बैंक ऑफ इंग्लैंड में भारत का सबसे ज्यादा सोना रखा गया है.

भारतीय रिजर्व बैंक के पास सैकड़ों टन सोना है. इसके अलावा वह हर साल सोने का अपना भंडार बढ़ाता रहता है. 

भारत में फिलहाल 822 टन से अधिक का गोल्ड रिजर्व है. इसके साथ ही यह सर्वाधिक गोल्ड रिजर्व वाले 10 देशों की सूची में नौवें स्थान पर पहुंच गया है.

रिजर्व बैंक ने पिछले दो सालों में ही करीब सौ टन सोना खरीदा है. इससे पहले साल 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के पास करीब 754 टन सोना है. 

भारतीय रिजर्व बैंक ज्यादातर सोना विदेश में रखता है. केंद्रीय बैंक ने खुद बताया है कि देश के कुल सोने के भंडार में से 296.48 टन सोना ही अपने देश में सुरक्षित रखा गया है. 

वहीं, 447.30 टन सोना विदेशी बैंकों में सुरक्षित रखा गया है. सबसे ज्यादा सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास रखा है. कुछ सोना स्विटजरलैंड के बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के पास भी सुरक्षित रखा गया है.

भारतीय रिजर्व बैंक के विदेश में सोना रखने के दो अहम कारण बताए जाते हैं. 

पहला कारण तो यह है कि भारी मात्रा में सोना खरीदकर सुरक्षित उसे देश में लाना आसान नहीं होता है. इसके लिए परिवहन और सुरक्षा पर काफी खर्चा करना पड़ता है. 

साथ ही अगर किसी वित्तीय संकट के वक्त इस सोने को गिरवी रखने की नौबत आई तो दोबारा विदेश भेजना पड़ेगा और इसमें काफी खर्च आएगा. सुरक्षा का भारी तामझाम भी करना होगा.

साल 1990-91 में ऐसा ही हुआ था, जब बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस के दौरान भारत को अपना 67 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और यूनियन बैंक ऑफ स्विटजरलैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था.