लोकसभा चुनाव में सातवें चरण के लिए 1 जून को मतदान होगा. इसके बाद सभी चैनलों पर एक्जिट पोल जारी होंगे.

इन पोल्स के जरिए अनुमान लगाया जाएगा कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है. देश की अलग-अलग एजेंसियां अपने-अपने आंकड़े जारी करेंगी.

एग्जिट पोल मतदान के दिन होता है और अंतिम चरण की वोटिंग के 30 मिनट बाद जारी किया जाता है. इसमें सिर्फ और सिर्फ मतदाताओं को शामिल किया जाता है.

एग्जिट पोल एक चुनावी सर्वे है. मतदान के दिन न्यूज चैनल और एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों के प्रतिनिधि मतदान केंद्रों पर मौजूद होते हैं. 

मतदान करने के बाद मतदाताओं से चुनाव से जुड़े कुछ सवाल पूछते हैं. उनके जवाब के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है. 

इस रिपोर्ट के आंकलन से पता चलता है कि मतदाताओं का रूझान चुनाव में किधर है. खास बात यह है कि एग्जिट पोल सर्वे में सिर्फ मतदाताओं को शामिल किया जाता है.

आमतौर पर लोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन दोनों में अंतर है. 

ओपिनियन पोल भी एक तरह का चुनावी सर्वे है, लेकिन इसे चुनाव के पहले जारी किया जाता है. इसके सर्वे में सभी लोगों को शामिल किया जाता है, जरूरी नहीं कि वो मतदाता हो या नहीं. 

ओपिनियन पोल में अलग-अलग मुद्दों पर लोगों से क्षेत्रवार सवाल पूछे जाते हैं और उसकी एनालिसिस करके सर्वे जारी किया जाता है.

दरअसल, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 126 ए के तहत अंतिम चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद तक एग्जिट पोल जारी करने पर रोक है.