क्या आप NOTA के बारे में जानते हैं? चुनाव में इसका क्या महत्व होता है? Lok Sabha Election का रिजल्ट आने से पहले पढ़िए ये स्टोरी

पॉलिटिक्स में नोटा का मतलब है — किसी भी दल/प्रत्याशी को वोट न देना 

NOTA की शुरूआत कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद हुई थी, तब कुछ लोगों ने ये मांग की थी कि ऐसा ऑप्शन भी होना चाहिए कि वे किसी भी प्रत्याशी को वोट न दें

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीनों में नोटा का बटन प्रोवाइड कराया, हालां​कि ये बटन दबाने वालों की संख्या काफी कम रहती है

चुनावी विशेषज्ञ NOTA को बिना दांत का टाइगर कहते हैं, जिसका चुनाव परिणामों पर कोई असर नहीं पड़ता

बता दें कि NOTA को सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत के चुनावों में शुरू किया गया था

नोटा का प्रावधान पहली बार दिसंबर 2013 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, दिल्ली और राजस्थान के विधानसभा चुनावों के दौरान NOTA का इस्तेमाल किया गया था

एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 59,97,054 मतदाताओं ने EVM पर नोटा बटन दबाया, जो 543 सीटों पर इन चुनावों के दौरान डाले गए कुल वोटों के 1.1% के बराबर था

2019 के लोकसभा चुनावों में, 1.06% यानी कुल 6.52 मिलियन वोटर्स ने किसी भी पार्टी को नहीं चुनते हुए NOTA का बटन दबाया था

2014 के लोकसभा चुनाव में लगभग 1.08% वोटर्स ने NOTA दबाया था.