यूपी में लोकसभा चुनावों में बीजेपी से समाजवादी पार्टी आगे निकल चुकी है. बीजेपी को 33 सीट मिली है तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर 43 सीट जीत ली है. 

जाहिर है कि बीजेपी की हार के कारण लोग ढूंढें रहे हैं. हार के तमाम कारण सामने आ रहे हैं. आइए जानते हैं.

अखिलेश यादव का  मुस्लिम-यादव , पिछड़ा दलित समीकरण काम कर गया. साथ में यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी को उसके कोर वोटर्स का भी वोट नहीं मिला. जिसमें सबसे खास रहे राजपूत वोटर्स. 

कुछ लोगों का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भविष्यवाणी वाला बयान काम कर गया. 

केजरीवाल ने ऐन चुनावों के बीच कहा था कि बीजेपी फिर आई तो योगी को मुख्यमंत्री पद से हटा देगी, ठीक उसी तरह जिस तरह मध्यप्रदेश से शिवराज सिंह चौहान को हटा दिया. 

इस तरह राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश तक में बीजेपी को हुए नुकसान में राजपूत वोटर्स की नाराजगी का कारण बताया जा रहा है. 

विपक्षी शासन वाले राज्यों में कानून व्यवस्था में सुधार के लिए बुलडोजर बाबा का उदाहरण दिया जाता है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक अलग-अलग कारणों से उनकी चर्चा होती रहती है. 

दरअसल 2017 में योगी आदित्यनाथ को सीएम बनने के बाद अपनी संसद की सीट छोड़नी पड़ी थी. गोरखपुर सीट पर उपचुनाव हुए और योगी की गढ़ रही सीट उनके सीएम बनने के बाद बीजेपी हार जाती है

सीएम के विरोधियों ने कहा कि योगी के पसंद के व्यक्ति को टिकट न मिलने के चलते उन्होंने जानबूझकर चुनाव में मन से प्रचार नहीं किया. 

यूपी में योगी समर्थकों के नाराज होने की पर्याप्त वजहें हैं. समर्थकों का कहना है कि योगी के साथ बीजेपी में सौतेला व्यवहार किया जाता है. जिस तरह से योगी पार्टी के लिए जी जान लगा देते हैं  

यहां तक कि उनके समर्थकों को टिकट भी नहीं मिल पाता है. योगी समर्थकों की नाराजगी इस बात को लेकर रहती है कि योगी को अपने पसंद के अधिकारियों तक की नियुक्ति के पावर नहीं मिलता है.

मंत्रिमंडल के भी कुछ लोग अंदर ही अंदर योगी के आदेशों की अवमानना करते रहे हैं. यह सब बातें ऐसी रही हैं जिनके कारण राजपूत समाज में यह बात अंदर तक फैल गई कि मोदी सरकार के मजबूत होने के बाद योगी को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा.