धरती पर बोझ होते हैं ऐसे 3 प्रकार के लोग

चाणक्य की नीति प्रत्येक मनुष्य के लिए संजीवनी का काम कर सकती है अगर उसका अक्षरशः पालन किया जाए.

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति के माध्यम से कहा है कि किन तीन प्रकार के लोग धरती पर बोझ होते हैं.

"मांसभक्षैः सुरापानैः मूर्खेश्चाक्षर वर्जितेः, पशुभिः पुरुषाकारैर्भाराक्रान्तास्ति मेदिनी." 

आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम से तीन प्रकार के लोगों को इस धरती पर बोझ बताया है.

चाणक्य कहते हैं कि जो लोग मांस खाते हैं, शराब पीते हैं या किसी प्रकार का दूसरा नशा करते हैं और जो मूर्ख हैं, ऐसे लोग इस धरती पर बोझ के समान हैं. 

सनातन धर्म के शास्त्रों में जीव हत्या को महापाप कहा गया है. ऐसे ही चाणक्य ने जीव हत्या कर उनका भक्षण करना गलत माना है.

चाणक्य नीति में उन्होंने कहा है कि इंसान को किसी भी जीव की हत्या करने का कोई अधिकार नहीं है. 

चाणक्य के अनुसार, जो लोग शराब पीते हैं या किसी तरह का नशा करते हैं, ऐसे लोग भी समाज के लिए बोझ हैं. 

चाणक्य कहते हैं कि नशे की स्थिति में इंसान के लिए सही-गलत का निर्णय कर पाना बहुत मुश्किल होता है.

नशे की हालत में ही ज्यादातर अपराध की घटना को अंजाम दिया जाता है. इसलिए इस तरह के लोग इस धरती पर बोझ हैं. 

आचार्य चाणक्य ने मूर्ख इंसान को भी इस धरती पर बोझ के समान माना है. चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति परेशानियों को कम करने के बजाए उसे बढ़ाता है. 

चाणक्य के मुताबिक, ऐसे लोग देखने में तो इंसान लगते हैं लेकिन असल में वे पशु होते हैं. 

चाणक्य कहते हैं कि इस प्रकार के लोगों से ना तो घर-परिवार सुखी रहता है और ना ही समाज का भला हो पाता है.