आजादी के बाद पहली बार कोई भी मुस्लिम सांसद केंद्र सरकार में नहीं बना मंत्री

नरेंद्र मोदी का पीएम के तौर पर तीसरा कार्यकाल शुरू हो गया है और उन्होंने 72 मंत्रियों के साथ रविवार को शपथ ली

लेकिन इस समारोह के बाद से ही यह चर्चा तेज है कि मंत्री परिषद में एक भी मुस्लिम सदस्य को जगह नहीं मिली है

18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा से किसी मुस्लिम सदस्य को जीत भी नहीं मिली थी, लेकिन सरकार में गठबंधन सहयोगियों की ओर से भी किसी मुस्लिम नेता का प्रस्ताव नहीं आया

आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब भारत सरकार में कोई भी मुस्लिम मंत्री नहीं है

इससे पहले एनडीए की ही सरकारों की बात करें तो अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में सैयद शाहनवाज हुसैन को टेक्सटाइल मिनिस्टर और नागर उड्डयन मंत्री के तौर पर शामिल किया गया था

वहीं मोदी सरकार के ही पहले के कार्यकालों में मुख्तार अब्बास नकवी मंत्री थे. उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी

फिर उन्होंने 2022 में इस्तीफा दे दिया था और स्मृति इरानी को यह जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन इस बार किसी भी मुस्लिम नेता को मंत्री परिषद में शामिल नहीं किया गया है, जो चर्चा का विषय है

आमतौर पर कोई न कोई मुस्लिम समुदाय का नेता मंत्री बनता रहा है. ऐसे में इस बार के मंत्री परिषद पर सवाल उठाए जा रहे हैं

यही नहीं उमर अब्दुल्ला ने तो तुरंत ही कहा था कि यह मुस्लिम मुक्त एनडीए सरकार है