ईद उल अजहा को बकरीद, बकरा ईद अथवा ईद उल बकरा के नाम से भी जाना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर में 12 महीने होते हैं और इसका धुल्ल हिज इसका अंतिम महीना होता है.
इस महीने की दसवीं तारीख को ईद उल अजहा या बकरीद का त्योहार मनाया जाता है, जो कि रमजान का महीना खत्म होने के 70 दिन बाद आता है.
बकरीद के दिन सबसे पहले ईद-उल-अजहा की नमाज की अदा की जाती है उसके बाद बकरे की कुर्बादी दी जाती है. कुर्बानी के बकरे को तीन अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाता है.
तब उन्होंने इस सपने को अल्लाह का पैगाम माना और इसे पूरा करने का निर्णय लिया. हजरत इब्राहिम ने खुदा के लिए अपने बच्चे को कुर्बान करने का फैसला लिया.