बिकिनी का चलन कई दशक पुराना है. लेकिन भारत समेत बहुत से देशों में बिकिनी का प्रदर्शन अश्‍लीलता मानी जाती है.

क्या आप जानते है बिकिनी शब्द का इतिहास क्या है? इसके साथ ही इतिहास के पन्नों में बिकिनी का कनेक्शन न्यूक्लियर टेस्ट से जुड़ा हुआ है. 

​बिकिनी नाम प्रशांत महासागर के एक द्वीप पर पड़ा, जो 1940 के दशक में परमाणु बमों का परीक्षण स्थल हुआ करता था. 

1946 और 1958 के बीच अमेरिका ने बिकनी एटोल द्वीप पर 23 परमाणु बम परीक्षण किया गए थे.

​बिकनी का पहला प्रोटोटाइप जैक्स हेम नामक फ्रांसीसी डिजाइनर ने तैयार किया था. जिसको उन्होंने नाम दिया था 'एटम'

जैक्स हेम के बाद फ्रांसीसी ऑटोमोबाइल इंजीनियर और कपड़ों के डिजाइनर लुई रेर्ड ने कम कपड़ों का स्विमसूट बनाया.. 

जिस समय लुईस रेर्ड ने स्ट्रिंग स्विमसूट पेश किया, उस समय अमेरिका ने प्रशांत महासागर में बिकनी एटोल द्वीप पर हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया था. 

​इसी परीक्षण से प्रेरित होकर  फ्रेंच डिजाइनर लुईस रेर्ड ने अपने स्विमसूट का नाम इस पर रखा.

बाद में 5 जुलाई 1946 को लुईस रेर्ड ने बिकिनी को पब्लिक किया जिसके बाद धीरे-धीरे पश्चिमी देशों में इसका चलन बढ़ गया.