भैंस क्यों और कैसे बना यमराज का वाहन, ये है रहस्य

हिंदू धर्म में जिनते भी देवी-देवता हैं, उनके अलग-अलग वाहन हैं. 

देवी-देवताओं के वाहन पशु-पक्षी होने का मुख्य उद्देश्य मनुष्य के जीवन में पशु-पक्षी के प्रति प्रेम और उनके प्रति सहानभूति व अहिंसा की भावना को जाग्रित करना है. 

पशु-पक्षी किसी विशेष स्वभाव या गुण का प्रतिनिधित्व करते हैं. यही वजह है कि उन्हें किसी देवी या देवता से जोड़ा गया है.

शास्त्रों के अनुसार, यमराज के वाहन भैंस का नाम पौंड्रक है. जिसका जन्म भगवान शिव के रूद्र रूप की जांघों से हुई.

पौंड्रक का रंग काला है जो कि अज्ञान दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है. जहां व्यक्ति मृत्यु के बाद पहुंचता है. 

यमराज का वाहन भैंसा तामसिक गुण और अज्ञानता का भी प्रतीक है. 

इंसान जन्म लेने के बाद यह भूल जाता है कि वह एक दिन मृत्यु को प्राप्त होगा. व्यक्ति अज्ञानतावश यह अपने नश्वर शरीर से प्यार करने लगता है. 

अज्ञानतावश इंसान यह भी भूल जाता है कि उसके जन्म के पश्चात ही यमराज धीरे-धीरे चलने वाले भैंसा पर सवार होकर हाथ में गदा और पाश लिए उस तक पहुंचने के लिए अपनी यात्रा शुरू कर चुके हैं. 

मनुष्य के पास नश्वर शरीर तभी तक है जब तक कि यमराज उसके पास पहुंच नहीं जाते. 

यमराज का वाहन भैंस तामसिक गुणों से मिलने वाले अंत का प्रतीक है. जो कि सिर्फ नर्क है. यमराज का पाश अज्ञानता की सजा का प्रतीक है.