क्या आप जानते हैं शिवलिंग की ओर क्यों होता है नंदी का मुंह

भगवान शिव के साथ नंदी महाराज भी रहते हैं. शिव मंदिर में नंदी का मुंह शिवलिंग की ओर होता है. 

जहां कहीं भी शिवमंदिर में शिवलिंग की स्थापना होती है वहां शिवजी के गण नंदी महाराज हमेशा विराजमान रहते हैं. 

लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर शिवजी के मंदिर में नदीं हमेशा उनके सामने ही क्यों रहते हैं. नंदी का मुंह सदैव शिवलिंग की ओर ही क्यों होता है?

पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवता और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उसके बाद हलाहल विष निकला. 

भोलेनाथ ने इस विष को पीकर इस संसार की रक्षा की. 

जब भगवान शिव हलाहल विष को पी रहे थे उस दौरान उसकी कुछ बूंदे जमीन पर गिरीं जिसे नंदी ने अपनी जीभ से चाट लिया. 

नंदी का अपने प्रति लगाव और प्रेम देखकर शिवजी ने उन्हें सबसे बड़े भक्त की उपाधि दी. साथ ही यह भी कहा कि वे जहां भी रहेंगे, नदीं उनके साथ होगा.

साथ ही भगवान शिव ने नंदी को यह वरदान दिया कि भक्त उनके दर्शन करने के साथ ही नंदी को भी जरूर प्रणाम करेंगे. 

हर शिव मंदिर में नदीं का मुंह शिवलिंग की ओर ही होता है. नंदी का मुंह शिवलिंग की ओर इसलिए होता है क्योंकि मनुष्य की नजर भी उसकी आत्मा की ओर हो. 

शिवजी की ओर नंदी के मुंह का होना इस बात को दर्शाता है कि शरीर का ध्यान आत्मा की ओर होने पर ही व्यक्ति चरित्र, आचरण और व्यवहार से पवित्र होता है.

चूंकि, समुद्र मंथन के समय से ही नंदी महाराज भगवान शिव के अनन्य सेवक हैं इसलिए उनका मुंह हमेशा अपने आराध्य की ओर रहता है.