पेरेंटिंग करना आसान काम नहीं है. बच्चों की बेहतर देखभाल से लेकर उन्हें हर अच्छी बुरी बात के बारे में समझाना पेरेंट्स के लिए मुश्किल टास्क होता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई बार आप अपने बच्चों की जिंदगी में जो दखल देते है उसे ही हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग कहते हैं. 

सबसे पहले यह जान लीजिए की आखिर हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग है क्या, इसके फायदे और नुकसान क्या होते हैं आइए जानें.

दरअसल, जो पेरेंट्स अपने बच्चों की जिंदगी में बहुत ज्यादा दखलअंदाजी करते है और हेलीकॉप्टर की तरह हमेशा सिर पर चढ़े रहते हैं, ऐसी पैरेंटिंग को हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग कहा जाता है. 

इस तरह की पेरेंटिंग में वह अपने बच्चों की जिंदगी के हर फैसले खुद लेते हैं और उन्हें पूरी तरह से डिपेंडेंट बना देते हैं. 

हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग का इस्तेमाल सबसे पहले 1969 में डॉक्टर हेम गिनोट ने 1969 में अपनी किताब बिटवीन पेरेंट एंड टीएनजर में किया था.

कई मामलों में हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के कुछ फायदे होते हैं. जो बच्चे बहुत ज्यादा शैतान होते हैं उनके लिए हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग फायदेमंद हो सकती है. 

हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे बच्चों में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की कमी आ सकती है. 

ऐसे बच्चे अपनी क्षमताओं पर भरोसा नहीं करते और वह अपनी क्वालिटी खुद आंक नहीं पाते हैं और अपने पेरेंट्स पर हमेशा निर्भर रहते हैं. 

एक स्टडी के मुताबिक, जिन बच्चों को हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग मिलती है, उनमें चिंता और डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि ऐसे बच्चे बहुत ज्यादा इंट्रोवर्ट हो जाते हैं और दूसरों से मिलते जुलते भी नहीं है.