एकमात्र शिव मंदिर जिसके ऊपर त्रिशूल की जगह है 'पंचशूल', जानें रहस्य
झारखंड के देवघर का बैद्यनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है. इस मंदिर के शिखर पर त्रिशूल की जगह 'पंचशूल' है.
बैद्यनाथ मंदिर परिसर में 22 मंदिर मौजूद हैं. सभी में पंचशूल विराजमान है.
बैद्यनाथ मंदिर के शिखर पर मौजूद पंचशूल खास रहस्य है.
धार्मिक ग्रंथ में यह उल्लेख है कि रावण के लंका पुरी के द्वार पर पंचशूल के रूप में सुरक्षा कवच मौजूद था.
रावण को पंचशूल की सुरक्षा कवच को भेदना आता था. जबकि भगवान राम के वंश में नहीं था.
विभीषण के युक्ति बताने के बाद ही भगवान राम लंका में प्रवेश कर पाए थे. वही पंचशूल देवघर के बैद्यनाथ मंदिर में लगा हुआ है.
कहा जाता है कि पंचशूल की वजह से कोई कोई प्राकृतिक आपदा मंदिर की क्षति नहीं कर पाई है.
बैद्यनाथ मंदिर का पंचशूल साल में एक बार उतारा जाता है.
महाशिवरात्रि के दिन पंचशूल को उतारकर उसकी पूजा की जाती है.
साल में एक बार महाशिवरात्रि के दिन पंचशूल की पूजा-अर्चना करने के बाद फिर से उसी स्थान पर स्थापित किया जाता है.