बेलपत्र चढ़ाने के बाद भूल से भी ना करें ये गलती, झेलनी पड़ेगी शिवजी की नाराजगी

सावन में शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने का विशेष धार्मिक महत्व है. कहते हैं कि शिवजी को चढ़ाया गया सिर्फ एक बेलपत्र तीन जन्मों के पापों को नष्ट कर देता है. 

बेलपत्र को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है. बेलपत्र से की गई शिवजी की पूजा अनेक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करती है. 

भगवान शिव की पूजा में उन्हें बेलपत्र चढ़ाने के बाद कई लोग उसे कूड़ेदान, कुंए, तालाब या नदी में प्रवाहित कर देते हैं. 

भगवान शिव को चढ़ाए गए बेलपत्र को कूड़ेदान में फेंकना अनर्थ माना गया है. 

ऐसा करने से न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अपवित्रता होती है, बल्कि यह भगवान शिव का अनादर भी माना जाता है. 

शास्त्रों के अनुसार, शिवजी की पूजा में प्रयोग की जाने वाली सामग्रियों को सम्म्मानजनक तरीके व्यवस्थित करके रखना चाहिए या जल में प्रवाह कर देना चाहिए.

सावन मास में बेलपत्र के पेड़ की जड़ में लाल रंग का कलावा बांधने और उसमें नियमित जल अर्पित करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है. 

शास्त्रों के अनुसार, शिव जी चढ़ाए गए बेलपत्र को किसी तालाब, नदी या पवित्र स्थान पर विसर्जित कर देना चाहिए. 

अगर बेलपत्र को किसी नदी या जल में प्रवाहित करना संभव ना हो सके तो उसे किसी पेड़ के नीचे या बगीचे में उचित तरीके से रखें.

बेलपत्र को कूड़ेदान में फेंकना एक प्रकार से धार्मिक अपवित्रता है. ऐसा करने से भगवान शिव की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है. 

बेलपत्र को कूड़ेदान में फेंकने से जीवन में कष्ट बढ़ने लगता है. साथ ही आर्थिक नुकसान भी हो सकता है.