इन दिनों यूपी सरकार का एक विधेयक इस वक्त खूब चर्चा में है, वो है— उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक 2024
नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के अलावा सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक भी नाराज हैं
ये विधेयक यूपी विधानसभा में पास हो चुका है, लेकिन विधान परिषद में इसे पेश किए जाने से पहले प्रवर समिति को भेजना पड़ा है.
सवाल उठता है कि नजूल का मतलब क्या है और नजूल बिल क्यों लाया गया, यह हम आपको बताएंगे
दरअसल, नजूल का मतलब ऐसी भूमि या भवन से है जो सरकारी दस्तावेज के आधार पर सरकार की संपत्ति है
शहरों और गांवों में या उनके नजदीक स्थित ऐसी सभी संपत्तियां, भूमि या भवन जो राज्य सरकार की हैं, नजूल संपत्तियां कहलाती हैं
नजूल संपत्ति में वे सभी संपत्तियां भी शामिल हैं जिनके लिए सरकार अधिसूचना द्वारा घोषित किसी कानून के तहत पट्टा, लाइसेंस या कब्जा दिया गया है
आपने कई राज्यों, शहरों या फिर अपने कस्बों में देखा होगा, जहां बोर्ड लगे होते हैं. उन पर लिखा होता है ‘यह नजूल की जमीन’ है.
अब तक नजूल की जमीन को कई बार सरकार द्वारा फ्री होल्ड कर दिया जाता था
इस तरह की जमीन को सरकारें स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन और डिस्पेंसरी के लिए एक निश्चित अवधि के पट्टे पर देती है, जिसे लीज भी कहते हैं.
हर राज्य में नजूल भूमि से संबंधित अपने-अपने कायदे कानून हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में नजूल भूमि (स्थानांतरण) कानून 1956 लागू होता है.
राज्य सरकारें नजूल भूमि को वापस लेने, लीज कैंसिल करने या रिन्यू करने के लिए स्वतंत्र हैं, यूपी सरकार द्वारा लाया जा रहा नया कानून ऐसा है कि नजूल भूमि बेची जा सकती है.