दरभंगा के एक राजा हुआ करते थे, कामेश्वर सिंह जिनके पास आज से सात दशक पहले चार डगलस विमानों का बेड़ा हुआ करता था. आज जो दरभंगा एयरपोर्ट चर्चे में है. 

दरभंगा राज के अंतिम शासक महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह बहादुर (1907-1962) अपने शासनकाल के दौरान भारत के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे. 

कामेश्वर सिंह दरभंगा एविएशन के मालिक थे, जिसे 1950 में शुरू किया गया था, जिससे बिहार निजी एयरलाइन रखने वाले पहले राज्यों में से एक बन गया. 

जानकरी के अनुसार 1950 के आसपास दरभंगा के महाराजा ने तीन बड़े एयरपोर्ट दरभंगा, पूर्णिया और कूचबिहार का निर्माण कराया. जबकि मधुबनी समेत कई जगहों पर छोटे रनवे भी विकसित किए. 

दरसअल दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद अमेरिका ने भारी पैमाने पर वायुसेना के विमानों की निलामी की, इस निलामी में दरभंगा ने भी भाग लिया और चार विमान खरीदा था. 

आजाद भारत में यह एक साथ खरीदा गया सबसे बड़ा निजी विमानन बेडा था. इन्‍हीं चार जहाजों को लेकर दरभंगा के महाराजा कामेश्‍वर सिंह ने दरभंगा एविएशन नामक कंपनी की स्‍थापना की थी. 

एक दुर्घटनाओं के कारण दरभंगा एविएशन बंद कर दी गयी, जो फिर कभी शुरू न हो सकी. महाराजा के पास सिर्फ उनका अपना लग्‍जरी विमान ही शेष रह गया था.

रिपोर्ट्स के मुताबिक 01 अक्‍टूबर 1962 को कामेश्‍वर सिंह की मौत के बाद भारत सरकार ने इस विमान का निबंधन रद्द कर दिया. 

बाद में चीन युद्ध के बाद दरभंगा की संपत्ति देखनेवाले न्‍यासी ने दरभंगा, पूर्णिया और कूचबिहार एयरपोर्ट के साथ-साथ इस लग्‍जरी विमान को भी भारत सरकार को सौंप दिया.