किन्नर समाज में कई रिवाज प्रचलित हैं. ऐसा ही एक रिवाज है किन्नरों का एक रात के लिए विवाह करना और अगले दिन विधवाओं की तरह विलाप करना. 

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस रश्म के तार महाभारत काल से जुड़े हैं. आइए जानते है इस रिवाज के पीछे की पौराणिक कथा क्या है. 

किन्नरों की शादी के बारे में कहा जाता है कि ये सिर्फ एक दिन के लिए शादी करते हैं. वो भी अपने देवता से. यह रिवाज महाभारत काल से चला आ रहा है.

किन्नरों के भगवान हैं अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है. महाभारत में अज्ञातवास के दौरान अर्जुन किन्‍नर के रूप में ही रहे थे.  

इसके लिए आपको महाभारत के उस अध्याय के बारे में जानना जरूरी हो जाता है, जब अर्जुन को अपने बेटे की बलि देनी पड़ी थी.

कहा जाता है कि किन्नर समाज में सदियों पुराना एक दिन की शादी का रिवाज अब भी चला आ रहा है. 

इसके बारे में कहा जाता है कि किन्नर एक रात के लिए शादी करते हैं और अगली सुबह विधवाओं की तरह विलाप करते हैं.

अब आपको महाभारत काल से जुड़ी किन्नरों के देवता की कहानी के बारे में बताते हैं. 

पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत की लड़ाई शुरू होने से पहले पांडवों ने जीत के लिए मां काली की पूजा की थी. इस साधना को सफल करने के लिए राजकुमार की बलि देने के लिए कहा गया. 

पूजा को सफल बनाने के लिए अर्जुन के बेटे इरावन बलि के लिए आगे आ गए. उन्होंने शर्त रखी कि वे पहले शादी करेंगे फिर अपनी बलि देंगे.