क्या आपको मालूम है आखिर रेलवे ट्रैक पर पत्थर किस लिए होते हैं? जानें इसकी वजह

पटरी को तैयार करते वक्त इसके नीचे लंबी-लंबी प्‍लेट्स बिछाई जाती है, जिसे आमतौर पर स्‍लीपर कहते हैं.

इनके नीचे छोटे-छोटे पत्‍थर होते हैं, जिसे ब्लास्टर या फिर आम भाषा में गिट्टी कहा जाता है. ब्लास्टर के नीचे मिट्टी की दो लेयर होती हैं.

यही कारण है कि रेलवे ट्रैक जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर दिखाई देता है और जब ट्रेन पटरी पर चलती है तो यही पत्‍थर, स्‍लीपर और ब्लास्टर ट्रेन के वजन को संभालने का काम करते हैं.

विज्ञान के मुताबिक जब ट्रेन पटरी पर चलती है, तो इसके कारण एक तरह की कम्‍पन्‍न पैदा होती है.

वहीं कम्‍पन्‍न के कारण पटरी को फैलने से रोकने का काम यही नुकीले पत्‍थर करते हैं.

बता दें कि अगर ये पत्‍थर गोल होंगे, तो ये कम्‍पन्‍न नहीं रोक पाएंगे और ऐसे में पटरी फैल जाएगी. इसलिए ट्रैक पर नुकीले पत्थर बिछाए जाते हैं.

इसके अलावा भी इन पत्‍थरों की एक खूबी है. पटरियों पर पड़े इन पत्‍थरों के कारण ट्रैक पर कोई पौधे नहीं उग पाते हैं, जिस कारण ये ट्रेन को बाध‍ित भी नही करते हैं.

इन्‍हीं पत्‍थरों के कारण रेलवे ट्रैक भी ऊंचा होता है, इसलिए जब भी बारिश के मौसम में पानी भरता है तो ट्रैक नहीं डूबता और ट्रेन आसानी से चलती रहती है.