पितृ पक्ष में कौओं को क्यों कराया जाता है भोजन, नहीं जानते हैं तो यहां जानिए

पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो चुकी है, जिसका समापन 2 अक्टूबर को होगा. 

पितृ पक्ष की पूरी अवधि में पितरों की मृत्यु तिथि के अनुसार, पूर्वजों के निमित्त तर्पण किया जाता है.

पितृ पक्ष के दौरान पितरों के रूप में कौवे को भी भोजन कराया जाता है. सनातन धर्म में कौओं को पितरों का दर्जा दिया गया है. 

पितृ पक्ष में पूर्वजों को याद करते हुए लोग कौओं को भोजन कराते हैं. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है. 

हिंदू धर्म में कौवों को पितरों का प्रतीक माना गया है. ऐसी मान्यता है कि पूर्वजों की आत्माएं कौए के रूप में आकर अपने वंशजों से भोजन ग्रहण करती हैं. 

यह मान्यता श्राद्ध पक्ष के दौरान विशेष रूप से प्रचलित है. कौए बिना थके लंबी दूरी की यात्रा कर सकते हैं. 

ऐसे में किसी भी तरह की आत्मा कौए के शरीर में प्रवेश कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकती है. 

यही वजह है कि पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा को तृप्त करने के लिए कौए को भोजन कराया जाता है. 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसका जन्म कौआ योनि में होता है.