चांद पर जाने वाले इंसान धरती पर वापस कैसे लौटते हैं?

पृथ्वी से चंद्रमा कई लाख किलोमीटर दूर है, अंतरिक्ष में ये दोनों हमेशा चक्कर लगाते रहते हैं, इसलिए इनकी दूरी घटती-बढ़ती रहती है

क्या आपने कभी सोचा है कि चांद पर जाने वाले इंसान धरती पर वापस कैसे लौटते हैं? इस आधुनिक युग में पृथ्वी से चांद पर सबसे पहले कौन गया था?

आज हम आपको बताएंगे कि चांद पर जाने वाले लोग (जिन्हें एस्ट्रोनॉट्स कहा जाता है) वहां से किस तरह धरती पर वापस आते हैं

जब एस्ट्रोनॉट्स पृथ्वी से चंद्रमा पर जाते हैं तो बहुत ताकतवर रॉकेट के जरिए उनके स्पेसक्रॉफ्ट को लांच करके अंतरिक्ष में भेजा जाता है 

पृथ्वी से चंद्रमा 3,84000 किलोमीटर दूर है, और चूंकि वे अपनी धुरी पर पलायन करते रहते हैं तो एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा पर पहुंचने में काफी दिन लग जाते हैं 

अब आप ये सोचें कि एस्ट्रोनॉट्स चांद से वापस धरती पर कैसे आते होंगे, तो चांद से वापस लौटने के लिए एस्ट्रोनॉट्स स्पेसक्राफ्ट में ही मौजूद इंजन का इस्तेमाल करते हैं

खगोलविदों के अनुसार, पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है. वहीं, चंद्रमा का पलायन वेग केवल 2.4Km प्रति सेकंड है

एस्ट्रोनॉट्स जिस स्पेसक्राफ्ट से चंद्रमा पर जाते हैं, उसका इंजन स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा के पलायन वेग तक पहुंचाने में सक्षम होता है, जो उसे आसानी से 2.4Km प्रति सेकंड की गति तक पहुंचा सकता है

स्पेसक्राफ्ट के इंजन की गति बहुत तेज होती है, जिससे स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा और पृथ्वी की कक्षा को भेदते हुए वापस धरती पर लौटता है

अमेरिका की एजेंसी NASA का मानव अंतरिक्ष यान, जिसे अपोलो मिशन (1968 to 1972) के तहत चांद पर भेजा गया था, वो भी चंद्रमा से धरती पर सकुशल लौटा था. 

अपोलो मिशन के तहत नील आर्मस्ट्रांग और माइकल कोलिन्स दुनिया में सबसे पहली बार चांद पर गए थे