दाल के बिना कोई भी भारतीय भोजन पूरा नहीं होता है, इसलिए चावल और रोटी के साथ दाल जरूर बनाया जाता है. 

दालें प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत हैं. ये पाचन के लिए भी अच्छी होती हैं और अलग-अलग तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं.

आपको बता दें हाल के सालों में दालों की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिसके कारण दालें आम लोगों के लिए महंगी हो गई हैं. 

सरकार ने दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे कि दालों का आयात और भंडारण.

ऐसे में क्या आप जानते हैं कि आखिर ये दालें आई कहां से? अगर नहीं, तो जान लीजिए इसके इसतिहास के बारे में

बताया जाता है कि इसकी खेती 5000 बीसी के करीब शुरू हुई थी. जो दुनिया के पूर्वी हिस्से से जार्जियां में पहुंची थी.

दालों को भारत आने में सैकंड़ों साल लग गए. लगभग 2000 बीसी के करीब दालें भाारत पहुंची और इन्हें खाने का चलन शुरू हुआ.

इतिहासकरों के मुताबिक, पुराने समय से ही एशिया व्यापार का बड़ा हिस्सा है. ऐसे में यहां दुनियाभर से व्यापारी अपने यहां की कई चीजें लेकर पहुंचते थे. 

इन्हीं के जरिये यहां दाल भी पहुंची और भारत में दाल की खेती धीरे-धीरे शुरु हो गई और दाल भारत के व्यंजन का अभिन्न अंग बन गईं.