कौन थे सिकंदर द ग्रेट के गुरु? जिन्होंने दुनिया जीतने का देखा था सपना

सिकंदर महान का नाम इतिहास के सबसे महान योद्धाओं और विजेताओं में लिया जाता है. उसने दुनिया जीतने का सपना देखा और जीवनकाल में एक विशाल साम्राज्य खड़ा किया. 

सिकंदर की सफलता का श्रेय उसकी सैन्य शक्ति, बुद्धिमत्ता और रणनीतियों को दिया जाता है लेकिन इसेक पीछे एक और बड़ा कारण था उसके गुरु महान दार्शनिक अरस्तु. 

अरस्तु प्राचीन यूनान के सबसे महान दार्शनिकों में से एक थे. वे प्लेटो के शिष्य थे और अपने समय के सबसे बुद्धिमान व्यक्तियों में से एक माने जाते थे. 

उन्होंने राजनीति, दर्शन, विज्ञान, और नैतिकता जैसे विषयों पर गहन अध्ययन और शिक्षाएं दीं. 

अरस्तु का मानना था कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं, बल्कि एक बेहतर इंसान बनना है. उनके विचार और सिद्धांत आज भी प्रासंगिक माने जाते हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय ने अरस्तु को बुलाया और उन्हें सिकंदर का शिक्षक बनाया. उस समय सिकंदर मात्र 13 साल का था. 

अरस्तु ने सिकंदर को केवल शस्त्र विद्या और युद्ध की रणनीतियों की शिक्षा नहीं दी, बल्कि उसे दर्शन, राजनीति, साहित्य और विज्ञान के विभिन्न पहलुओं से भी परिचित कराया. 

सिकंदर ने अरस्तु से बहुत कुछ सीखा, जिसने उसे केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि एक कुशल शासक भी बनाया.

अरस्तु ने सिकंदर को सिखाया कि एक राजा का कर्तव्य केवल विजय प्राप्त करना नहीं है, बल्कि अपने राज्य के लोगों के कल्याण और न्याय की भी जिम्मेदारी लेना है. 

सिकंदर के मन में अरस्तु के प्रति अत्यधिक सम्मान था और उसने अपने जीवन में उनके द्वारा दिए गए कई सिद्धांतों का पालन किया. 

अरस्तु की शिक्षा ने सिकंदर के विचारों और निर्णयों को प्रभावित किया, खासकर जब वह अपनी विजय यात्रा पर निकला.

सिकंदर ने अरस्तु की शिक्षा के आधार पर एक अद्वितीय सैन्य रणनीति विकसित की और अपने समय के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक खड़ा किया.