भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है. अगर आप भारत के अलग-अलग राज्यों की यात्रा करें, तो पाएंगे कि ये सभी अनोखी और हैरान कर देने वाली चीजों से भरे पड़े हैं. 

आज हम आपको भारत के एक ऐसे अनोखे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर लोग एक-दूसरे को नाम से नहीं, बल्कि ट्यून से पुकारते हैं... 

हम बात कर रहे हैं उत्तर पूर्वी राज्यों में से एक मेघालय में स्थित कोंगथोंग नामक गांव की. जिसे भारत के व्हिसलिंग गांव के नाम से भी जाना जाता है.

यह गांव शिलांग से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस गांव में रहने वाले बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर किसी को नाम से नहीं, बल्कि ट्यून के माध्यम से पुकारा जाता है. 

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में हर किसी को अपनी-अपनी ट्यून पता है. जब भी किसी बच्चे या बुजुर्ग को पुकारना होता है, तो वहां पर ट्यून का इस्तेमाल किया जाता है. 

इस गांव के लोग अपने गांव वालों तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए सीटी बजाते हैं. कोंगथोंग के ग्रामीणों ने इस धुन को जिंगरवाई लवबी कहा जाता है, जिसका अर्थ 'मां का प्रेम गीत' है. 

गांव में लोग एक-दूसरे को बुलाने के लिए छोटी और बड़ी ट्यून का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए अलग-अलग किस्म की ट्यून बनाई गई है.

अगर व्यक्ति को निक नेम के साथ पुकारना है, तो छोटी ट्यून का उपयोग किया जाता है, जबकि पूरा नाम लेने के लिए बड़ी ट्यून इस्तेमाल की जाती है.

इस गांव में लगभग 700 लोग रहते हैं, जिसका मतलब है कि 700 लोगों के लिए गांव में 700 प्रकार की ट्यून का इस्तेमाल किया जाता है.