भारत में भाई-बहन के रिश्ते को बहुत सम्मान की नजर से देखा जाता है. हमारी संस्कृति में बड़ी बहन को मां के समान होती है. जबकि छोटी बहन बेटी के समान होती है.

लेकिन क्या हो अगर आपको मालूम चले कि, भारत में एक स्थान ऐसा भी है, जहां भाई-बहन आपस में शादी करते हैं. 

भारत के मध्य में स्थित राज्य छत्तीसगढ़ में एक ऐसी जनजाति रहती है, जहां लोग आराम से भाई-बहनों की शादी करवा देते हैं. 

इस शादी को समाज से आशीर्वाद भी मिलता है. इसमें ज्यादातर चचेरे भाइयों से या फिर फुफेरे भाइयों से शादी करवाई जाती है. 

सबसे हैरानी की बात तो ये है कि अगर कोई अपनी बहन या भाई से शादी करने से इनकार करता है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाती है.

गौरतलब है कि, अपने ही भाई-बहन से शादी करने का ये सिलसिला कोई एक-दो दशक पुराना नहीं, बल्कि सदियों से चला आ रहा है. हालांकि ऐसा करने के पीछे इस जनजाति का एक महत्वपूर्ण तर्क भी है. 

इनका कहना है कि, वह अपनी जनजाति की संख्या में वृद्धि करने के लिए इस तरह के रीति रिवाज का पालन करते हैं. ऐसा करने से उनकी संख्या में इजाफा होता है.

कौन है ये जनजाति? धुरवा जनजाति आज के समय में छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा के कुछ इलाकों में रहते हैं. इसकी बोली पारजी होती है लेकिन ये ओड़िया और छत्तीसगढ़ी भी बखूबी बोल लेते हैं.

इसके अलावा अब इस जनजाति के युवा हिंदी भी अच्छे से बोलने लगे हैं. बात परम्पराओं की करें तो धुरवा जनजाति में विवाह नृत्य का काफी महत्व है. 

इसमें वर-वधु दोनों की तरफ से नृत्य किया जाता है. विवाह नृत्य तेल-हल्दी चढ़ाने की रस्म से प्रारंभ कर पूरे विवाह में किया जाता है.