जब इस रानी को मर्द बनाकर चुपचाप यूरोप ले गया था राजा, जानें इसके पीछे की वजह

महाराजा कपूरथला ने अपनी सबसे सुंदर रानी को विदेश एक पुरुष बनाकर ले गए. इसकी एक बड़ी वजह थी.

हालांकि बाद में जब ये बात लोगों को पता चली तो हर कोई महाराजा की इस चालाकी पर चकित रह गया. वैसे महाराजा ने ये काम इसलिए किया था, क्योंकि इसकी एक वजह थी. 

अगर वो ऐसा नहीं करते तो रानी को विदेश क्या देश से बाहर नहीं ले जा पाते. इस बारे में कई रजवाड़ों में दीवान की भूमिका निभाने वाले जर्मनी दास ने अपनी किताब महारानी में इसका रोचक जिक्र किया है.

दरअसल ये ब्रिटिश राज का जमाना था. देश में वायसराय सबसे आला अधिकारी होता था. यहां तक कि राजाओं और महाराजाओं को भी उसकी बात माननी होती थी. 

उस समय लार्ड कर्जन वायसराय थे. उन्होंने देश के राजा-महाराजाओं के विदेश जाने पर पाबंदी लगाई हुई थी. हालांकि इसके बाद भी राजा बाहर जाया करते थे. उसके लिए उन्हें वायसराय से अनुमति लेनी होती थी.

जब महाराजा कपूरथला जगजीत सिंह ने लार्ड कर्जन से विदेश जाने की इजाजत मांगी तो उन्हें ये इस शर्त पर मिली कि वो अपने साथ कुछ सहायक लेकर यूरोप जा सकते हैं लेकिन किसी महारानी को साथ ले जाने की अनुमति नहीं है.

महाराजा इस आदेश पर बहुत परेशान हुए क्योंकि उन्होंने यूरोप यात्रा में अपनी खूबसूरत रानी कनारी को साथ ले जाने की योजना बनाई हुई थी. 

महाराजा अब करें तो करें क्या. खैर उन्होंने इसके लिए एक तरकीब निकाली, जो कुछ रिस्की भी थी. उस समय आज की तरह विदेश यात्रा पर जाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती थी.

उस समय कपूरथला की रियासत में उनके पिता दौलतराम दीवान थे. उन्होंने राजा को रानी को मर्दाना वेश में यूरोप ले जाने की युक्ति बताई. पहले तो महाराजा को ये अजीब लगा लेकिन फिर वो तैयार हो गए.

वजह ये भी थी रानी कनारी ना केवल बहुत खूबसूरत थी बल्कि राजा भी उसे खूब प्यार करता था और उसे यूरोप की सैर कराना चाहता था. 

रानी को मर्दाना वेश धरने के लिए उनके पुरुषों के अचकन, पायजामा लाए गए. पगड़ी पहनाई गई. नकली दाढ़ी चिपकाकर पूरी तरह पक्का कर लिया गया कि रानी एक सिक्ख नजर आएं.

रानी का पूरा नाम रानी कनारी साहिबा था, वो शिमला के पास जुबल रियासत के दीवान की बेटी थीं और महाराजा जगजीत सिंह की छह रानियों में एक.

जिस दिन महाराजा को देश से विदेश जाना था, उस दिन महाराजा और उनके सहायकों के साथ रानी सिक्ख पुरुष का वेश धारण किए हुईं थीं. किसी को कोई शक नहीं हुआ. रानी आराम से विदेश पहुंच गईं.