क्या आप जानते हैं सबसे पहले करवा चौथ का व्रत किसने रखा था? यहां जानें जवाब
हर वर्ष सुहागन महिलाएं करवा चौथ के दिन अपने पति के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखकर संध्या काल में चांद को अर्घ्य देती हैं.
इसके बाद अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत को तोड़ती है. लेकिन अक्सर हमारे मन में यह सवाल उठता है कि आखिर करवा चौथ व्रत को मनाने के पीछे का असली कारण क्या है और सबसे पहले किसने रखा था व्रत.
ज्योतिषाचार्य प्रदीप आचार्य बताते हैं कि करवा चौथ मनाने को लेकर कई सारी धार्मिक मान्यताएं हैं और इन सभी मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ को कार्तिक मास के प्रथम पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है.
जिसमें लाल वस्त्र धारण कर सुहागन महिलाएं अपने पति के लिए चांद को अर्घ्य देती हैं और पूरे दिन का निर्जला उपवास रखती हैं.
ज्योतिषाचार्य प्रदीप आचार्य ने बताया कि करवा चौथ का व्रत अनादि काल से ही चला आ रहा है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार सबसे पहले करवा चौथ का व्रत माता गौरी ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था. इस दिन उन्होंने पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर चांद को अर्घ्य दिया था और तब से ही करवा चौथ मनाने की परंपरा चली आ रही है.
मान्यता के अनुसार देव-दानव युद्ध के बाद जब सभी देवी ब्रह्मदेव के पास पहुंचे थे और उनसे अपनी पतियों की रक्षा के लिए सुझाव मांगा था तब उन्होंने सभी देवियों को करवा चौथ के व्रत रखने की सलाह दी थी और तभी से करवा चौथ की परंपरा चली जा रही है.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि करवा चौथ का संबंध रामायण काल से भी जुड़ा हुआ है और माता सीता ने भगवान श्री राम के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था.
उन्होंने कहा कि जब लंकापति रावण के द्वारा मां सीता का हरण किया गया था. तब उन्होंने अशोक वाटिका में रहते हुए ही भगवान श्री राम के लिए कई माह तक करवा चौथ का व्रत रखा था.
उन्होंने बताया कि अशोक वाटिका में रहते हुए माता सीता ने अन्न जल का त्याग कर दिया था और तब सभी देवता वहां प्रकट हुए थे और उन्होंने माता सीता को मनाया था और उन्हें खीर का भोग लगाया था.
एक अन्य कथा के अनुसार यह भी मान्यता है कि भगवान श्री राम के कहने पर ही माता सीता ने करवा चौथ का व्रत किया था.