UP का ऐसा मंदिर जहां भगवान कृष्ण को लगता है मिट्टी के पेड़े का भोग, जानें वजह
उत्तर प्रदेश में मौजूद मथुरा एक छोटा-सा शहर है, जिसे भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है. यहां पर श्रीकृष्ण को समर्पित कई मंदिर हैं, जिनकी अपनी मान्यता और खास महत्व है.
यहां मौजूद हर एक मंदिर का अपना चमत्कार है, जो भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है.
आज हम आपको मथुरा में मौजूद एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे श्रीकृष्ण के भक्तों की खास आस्था जुड़ी हुई है.
इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यहां पर दूध के नहीं बल्कि मिट्टी से बने पेड़ों का भोग श्रीकृष्ण को लगाया जाता है.
ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर क्यों इस मंदिर में मिट्टी के पेड़ों का भोग श्रीकृष्ण को लगाया जाता है.
मथुरा के जनपद महावन में गोकुल यमुना के समीप ब्रह्मांड घाट है. ब्रह्मांड घाट के पास श्रीकृष्ण को समर्पित ब्रह्मांड बिहारी का मंदिर स्थित है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण ने मिट्टी खा ली थी. अपने बेटे को मिट्टी खाते देख मां योशादा विचलित हो गई और उन्होंने कृष्ण जी के मुंह के अंदर देखा.
कृष्ण जी के मुंह में माता यशोदा को पूरे ब्रह्मांड के दर्शन हुए थे. इसी वजह से इस स्थान को ब्रह्मांड घाट कहा जाता है.
ब्रह्मांड बिहारी मंदिर वो ही जगह है, जहां पर भगवान कृष्ण ने मिट्टी खाई थी. इसलिए यहां पर उन्हें मिट्टी से बने पेड़ों का भोग लगाया जाता है.
यहां आए भक्तों को प्रसाद के रूप में भी मिट्टी से बने पेड़े दिए जाते हैं, जिन्हें भक्त चाव से खाते हैं. मथुरा में कन्हैया को ब्रह्मांड बिहारी के नाम से भी जाना जाता है.
ब्रह्मांड घाट पर मिलने वाले पेड़ों को बनाने के लिए यमुना घाट से मिट्टी निकाली जाती है, जिसे पहले सुखाया जाता है. फिर मिट्टी को छानकर उसके पेड़े बनाए जाते हैं.
यदि किसी बच्चे को मिट्टी खाने की आदत है, तो वो यहां मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलने वाले पेड़े खाता है, तो उसकी ये आदत छूट जाती है. इसके अलावा कुछ लोग भगवान के आशीर्वाद के रूप में भी मिट्टी के पेड़े खाते हैं.