छत्तीसगढ़ के बस्तर में गड़वा, गोंड और धुर्वा जनजाति के लोग 4,000 वर्ष पुरानी डोकरा हैंडीक्राफ्ट के जरिए खूबसूरत कलाकृतियां बनाते हैं.
आदिवासियों के ढोकरा आर्ट को छत्तीसगढ़ की शान कहा जाता है. बस्तर में बनाए जाने वाले ढोकरा आर्ट की मूर्तियों की डिमांड देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है.
मूंग के अच्छे तरीके से कड़क हो जाने के बाद इसके ऊपर से दो-तीन मिट्टी से कवर करने के बाद पीतल, टिन, तांबे जैसी धातुओं को पहले हजार डिग्री सेल्सियस पर गर्म कर पिघलाया जाता है.