यूं तो पूरी दुनिया में शानदार, किले, पैलेस और महल हैं, जिनकी स्‍थापत्‍य कला, भव्‍यता और चकाचौंध देखने लायक है. 

ऐसा ही एक महल भारत में है जो पूरी दुनिया में अपनी एक खास जगह रखता है. आइए जानते हैं इस खास महल के बारे में.

कर्नाटक के मैसूर पैलेस (mysore palace)का नाम भारत के राजसी महलों में शुमार है साथ ही ये पैलेस इंडो-सरसेनिक वास्तुकला का बेहद खूबसूरत उदाहरण भी है

इंडो-सरसेनिक(Indo-Saracenic) शैली में निर्मित, शानदार मैसूर पैलेस, जिसे अंबा विलास(Amba Vilas) के नाम से भी जाना जाता है

इस महल की नक्काशीदार महोगनी छत, रंगीन कांच, सोने के खंभे और चमकदार टाइलों से सजे इसके बेहतरीन अंदरूनी भाग, राजसीपन और भव्यता का प्रतीक हैं. 

महल को रविवार, सार्वजनिक छुट्टियों और वार्षिक दशहरा उत्सव के दौरान लगभग 97,000 बल्बों से रोशन किया जाता है.

इसे मैसूर का महाराजा पैलेस कहा जाता है. यह द्रविड़, पूर्वी और रोमन स्थापत्य कला का शानदार संगम है.

मैसूर पैलेस की कहानी 14वीं सदी की शुरुआत में शुरू होती है, जिसे वोडेयार के शाही परिवार ने बनवाया था. मूल रूप से लकड़ी से निर्मित इस महल को कई बार नष्ट किया गया. 

1897 में आग लगने से मूल लकड़ी की संरचना नष्ट हो जाने के बाद 1912 में महल को उसके वर्तमान स्वरूप में फिर से बनाया गया.

मैसूर पैलेस प्रसिद्ध दशहरा उत्सव का केंद्र है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने वाला 10 दिवसीय कार्यक्रम है.