आखिर क्यों बाएं हाथ की उंगली में ही पहनी जाती है सगाई की अंगूठी? जानें इसका महत्व
शादी जिंदगी के सबसे सुखद पलों में से एक है. हिंदू रीति-रिवाजों में शादी में विभिन्न रस्में निभाई जाती हैं.
हिंदू शादी की परंपरा में विवाह के सभी अनुष्ठान मंगनी की रस्म से ही शुरू होते हैं, जिसमें युवक-युवती दोनों एक दूजे को अंगूठी पहनाते हैं.
इस रस्म में लड़की के बाएं हाथ की अनामिका अंगुली में सगाई की अंगूठी पहनाई जाती है.
ऐसे में आपके मन में भी ये सवाल जरूर आता होगा कि आखिर शादी या मंगनी की अंगूठी हमेशा अनामिका अंगुली में ही क्यों पहनी जाती है?
आइये पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं सगाई या शादी की अंगूठी अनामिका अंगुली में पहनने का महत्व.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अनामिका अंगुली का संबंध प्रेम, उत्तेजना, चमक से माना जाता है. बाएं हाथ की तीसरी अंगुली विवाहित जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है.
अनामिका दंपत्ति के बीच प्रेम को दर्शाता है. अनामिका दोनों में जन्म तक साथ निभाने का प्रतीक है, इसलिए सगाई या शादी की अंगूठी इस अंगुली में पहनी जाती है.
मान्यताओं के अनुसार, सगाई या शादी की अंगूठी गोल आकार की होनी चाहिए. इसके पीछे कारण है कि गोले का अंत नहीं होता.
उसी तरह विवाह के रिश्ते को भी अनंत बनाए रखने के लिए गोल अंगूठी अनामिका में पहनी जाती है.
कहते हैं कि बाएं हाथ की तीसरी अंगुली का संबंध सीधे ह्रदय से होता है, इसलिए भी अंगूठी को तीसरी अंगुली में धारण किया जाता है.
ज्योतिष के अनुसार, अनामिका का संबंध सूर्य देवता से होता है. सभी ग्रहों में सूर्य को राजा कहते हैं. सूर्य यश, तेज और शक्ति का प्रतीक है. ऐसे में अनामिका अंगुली में अंगूठी धारण करना शुभ होता है.
इससे आपको मजबूती मिलती है और जीवन में अपनों के साथ रिश्ता प्रेम के साथ जुड़ा रहता है, इसलिए सगाई और शादी की अंगूठी अनामिका अंगुली में पहनना शुभ माना गया है.