इस प्राचीन मंदिर में भगवान के रूप में होती है कुत्ते की पूजा, दिलचस्प है इसकी कहानी

राजस्थान में अनेकों लोक देवताओं की पूजा-अर्चना होती है. यहां पर रामदेव जी, तेजाजी और पाबूजी महाराज जैसे कई लोक देवता है जिन्होंने मानव समाज के लिए कई अच्छे काम किए. 

इस कारण आज लोग उन्हें देवता मानकर उनकी पूजा करते हैं. लेकिन जयपुर ग्रामीण में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां भगवान के रूप में कुत्ते की पूजा की जाती है. 

इतना ही नहीं भक्त यहां आकर मन्नत भी मांगते हैं. इससे भी खास बात यह है कि इस मंदिर की पूजा अर्चना एक महिला पुजारी द्वारा की जाती है. 

जयपुर ग्रामीण के सांभर शहर से 7 किलोमीटर दूर सांभर झील के किनारे कुत्ते का मंदिर बना है जहां बड़ी संख्या में भक्त मन्नत लेकर आते हैं. 

चबूतरे नुमा बने इस मंदिर पर प्रतीकात्मक कुत्ते की मूर्ति पर सिंदूर चमकदार है जिसे सुंदर तरीके से सजाया गया है. बगल में ही महाराज पीथा बाबा का मंदिर भी स्थित है.

ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त पीथा बाबा महाराज के दर्शन के लिए आते हैं वह कुत्ते के मंदिर पर जरूर माथा टेकते हैं.

मंदिर की पुजारी संतोषी देवी के अनुसार, 200 साल पहले सेवा गांव के रहने वाले संत पीथा राम अपनी शादी का सामान खरीदने के लिए संभार की मंडी आए थे. उनके साथ उनका कुत्ता और उनका धर्म भाई जो मुस्लिम समाज का था वह भी सांभर आया था. 

पीथा राम शादी का सामान खरीदकर अपनी बैलगाड़ी से वापस अपने गांव जा रहे थे इस दौरान उनका मुस्लिम दोस्त वहीं रुक गया. इसके बाद 7 किलोमीटर दूर झील के किनारे डकैतों ने हमला कर दिया और सारा सामान लूट लिया. 

इस लड़ाई में पीथा राम और उनके कुत्ते ने सभी डकैतों को मार दिया लेकिन एक डकैत ने घात लगाकर उन पर पीछे से हमला कर दिया और उसकी गर्दन काट दी. 

उसके बाद कुत्ते ने कुछ हमलावरों को भी मार दिया. अब वह कुत्ता पीथा राम को उठाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह नहीं उठे. 

कुछ देर वहीं बैठने के बाद उस कुत्ते ने पीथा राम के सिर पर बंधे साफा को जो खून से भीग गया था लेकर सेवा गांव के परिवार वालों के पास पहुंच गया. 

गांव वालों ने देखा कि पीथा राम का साफा खून से सना है, तो वे समझ गए कि कुछ अनहोनी हो गई है. सभी परिवार वाले कुत्ते के साथ उसी जगह आ गए, जहां पीथा राम की गर्दन कटी हुई थी और सभी डकैत भी बेसुध होकर पड़े थे. 

इसके कुछ समय बाद ही कुत्ते ने भी दम तोड़ दिया. सभी लोगों ने उस जगह को पवित्र मानते हुए और स्वामी भक्ति के प्रतीक के रूप में उस जगह पर कुत्ते का मंदिर बनवाया और बगल में पीथा बाबा महाराज का मंदिर.