यहां मौजूद है दुनिया का सबसे पुराना ब्रह्मा मंदिर, जानिए इसके पीछे की रोचक कथा
हिन्दू धर्म में त्रिदेव का विशेष महत्व है जो हैं – ब्रह्मा, विष्णु और महेश. ब्रह्मा जी को उत्पत्तिकर्ता, विष्णु जी को पालनकर्ता तथा महेश यानि शिव को विनाशकर्ता माना जाता है.
भगवान विष्णु और भगवान शिव के तो आपने बहुत से मन्दिर देखें होंगे परंतु क्या आपने कभी ब्रह्मा जी का मंदिर देखा है, अगर नहीं! तो क्या आपने कभी सोचा है इसके पीछे का कारण.
अगर हा! तो आइए हम आपको बताते हैं उसके पीछे छुपी कथा के बारे में. ब्रह्मा जी का पूरे विश्व में केवल एक ही मंदिर है जो है पुष्कर, राजस्थान में.
यह कथा पद्म पुराण की है. एक बार वज्रनाश नामक एक दैत्य ने पूरी पृथ्वी को त्रस्त किया हुआ था.
जब उसके आगे इंद्र आदि सभी देवता हार गए तब उन्होंने परमपिता ब्रह्मा की शरण ली और अंत ने ब्रह्मा जी ने वज्रनाश को समाप्त किया.
वज्रनाश का अंत करते समय ब्रह्मा जी के हाथों से तीन जगहों पर कमलपुष्प गिरा और उन तीनो स्थानों पर तीन झीलें निर्मित हो गई.
इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा और संसार की भलाई के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने यही पर यज्ञ करने का संकल्प किया. यज्ञ पूर्ण करने के लिए ब्रह्मा जी तो पुष्कर पहुच गए परंतु उनकी पत्नी सावित्री किसी कारणवश समय पर नहीं आ पाई.
जैसा की हम सभी जानते हैं की हिन्दू धर्म में कोई भी यज्ञ पत्नी के बिना संपन्न नहीं होता जिसके कारण ब्रह्मा जी ने गायत्री नामक एक कन्या से तत्काल विवाह कर लिया, जिसके बाद यज्ञ शुरू हुआ.
इतने में सावित्री जी भी वहां पहुच गई और ब्रह्मा संग गायत्री को देख अत्यधिक क्रोधित हो उठी.
क्रोध के आवेश में आकर सावित्री ने ब्रह्मा को श्राप दिया की त्रिदेव में से एक होने के बावजूद भी वे कभी कहीं भी नहीं पूजे जाएंगे. यह सुन ब्रह्मा समेत सभी लोग बहुत अचंभित हो गए.
सभी देवों ने सावित्री जी से खूब क्षमा-याचना की और इस विवाह प्रसंग के पीछे की पूरी कहानी बताई जिसे सुनकर सावित्री का गुस्सा ठंडा हुआ.
क्रोधाग्नि शांत होने पर सावित्री जी ने कहा की सम्पूर्ण पृथ्वी पर आप केवल एक, पुष्कर में पूजे जाएंगे. इसके अलावा अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपका मंदिर बनाएगा तो उस मंदिर समेत उस व्यक्ति का भी नाश हो जाएगा.
यही कारण है की सम्पूर्ण जगत में ब्रह्मा जी का एक मात्र मंदिर है जोकि पुष्कर में स्थित है.