भारत के उत्तर प्रदेश राज्य (Uttar Pradesh) में गंगा नदी के तट पर स्थित काशी शहर को वाराणसी (Varanasi) और बनारस (Banaras) भी कहा जाता है. 

ये दुनिया का सबसे प्राचीन यानी पुराना शहर है. यहां करीबन 84 घाट हैं, जो धार्मिक रूप से इस शहर की मान्यता बढ़ाते हैं. 

लेकिन क्या आप जानते हैं काशी (Kashi) में मृत्यु को उत्सव के रूप में क्यों देखा जाता है. आखिर क्या है इसके पीछे का सच? आइए जानते हैं इसके बारे में-

काशी में स्थित घाटों का इतिहास और महत्व अपने आप में बहुत रोचक है. इन घाटों में सबसे प्रसिद्ध और रहस्यों से भरा घाट मणिकर्णिका है. 

काशी, बनारस एक ऐसी जगह है, जहां लोग मरने के बाद भी आने की ख्वाहिश रखते हैं. कहा जाता है कि, बनारस में जिसका अंतिम संस्कार होता है उसे स्वर्ग मिलता है. 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, काशी में जो भी मनुष्य प्राण त्यागता है भगवान शिव स्वयं उसके कान में 'तारकमंत्र' बोलते हैं जिससे जीवात्मा को सीधे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति (मोक्ष) मिल जाती है. 

मान्यता है, काशी में मृत्यु को प्राप्त करना पूर्व जन्म के अच्छे कर्म ही होते हैं और इसलिए काशी में मृत्यु को 'मंगल' बताया गया है. 

आपको बता दें काशी के मणिकर्णिका घाट में 24 घंटे चिता जलती रहती है और यह कभी बुझती नहीं है. इसलिए काशी के इस घाट को महाश्मशान कहते हैं.