गुजरात में दीवाली का त्योहार बहुत खास तरीके से मनाया जाता है. गुजरात में उत्सव की शुरुआत वाघ बरस से होती है. 

इसके बाद धनतेरस होता है फिर काली चौदस और फिर दिवाली मनाया जाता है. इसके बाद बेस्तु बरस और भाई बीज के पर्व आते हैं.

गुजरात में दिवाली के साथ ही पुराना साल खत्म हो जाता है और अगले दिन ही नव वर्ष शुरू होता है, जो बेस्तु वरस (Bestu Varas) के नाम से भी जाना जाता है. 

गुजरातियों का नया साल कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो अमूमन अन्नकूट पूजा जिसे गोवर्धन पूजा भी कहते हैं. 

आपको बता दें कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 2 नवंबर 2024, शनिवार को गुजराती समाज के लोग (Bestu Varas) यानी नववर्ष मनाएंगे. 

इस दिन गुजराती लोग मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और नए वस्त्र धारण कर अपने रिश्तेदारों और करीबियों को गले लगकर उन्हें नए साल की शुभकामनाएं देते हैं. 

गुजराती नववर्ष पुराने चोपड़ा के बंद होने और नये चोपड़ा के खुलने के साथ मनाया जाता है. गुजरात में, पारंपरिक खाता बही को 'चोपड़ा' कहते हैं. 

गुजरातियों में दिवाली पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त हेतु विशेष ज्योतिष की उपस्थिति में नया चोपड़ा खोला जाता है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन इंद्र के गुस्से से हुई बारिश से भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को बचाया था जिसके कारण नववर्ष मनाया जाता है.